हाजी यूसुफ भाई साम्प्रदायिक एकता के संरक्षक और जीवंत उदाहरण थे और समाज, समुदाय या धर्म में बिना किसी भेदभाव के गरीब और जरूरतमंद छात्रों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। वह स्वभाव से विनम्र और मिलनसार थे और उन्होंने गरीबी से अमीर और समृद्ध होने के लिए कड़ी मेहनत की और फिल्मी दुनिया में अपना नाम भी बनाया।
वे विद्यार्थी भवन के शिलान्यास समारोह और गुजरात ऑल मुस्लिम घांची समाज द्वारा 17 फरवरी, 2008 को राज्य के घांची समाज की वेबसाइट के शुभारंभ के अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने सदरहू विद्यार्थी भवन के लिए 25 लाख रुपये का दान दिया है और अहमदाबाद के खानपुर में विद्यार्थी भवन का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है।
फिर 8 मार्च 2009 को उनके आशीर्वाद से उसी परिसर में घांची समाज विद्यार्थी भवन का उद्घाटन किया गया। उन्होंने वीरमगाम में घांची वोरा जमात खाना का भी उद्घाटन किया और इसके निर्माण में योगदान दिया। वह अखिल भारतीय घांची संघ के अध्यक्ष भी थे और उन्होंने विभिन्न राज्यों और मुंबई में मानवता के लिए योगदान देना जारी रखा।उन्हों ने जवाहर के घांची जमतखाने का भी उदघाटन किया था। उनके असमय चले जाने से समाज और कई जरूरतमंद लोगों पर भारी असर पड़ा है। उनका आज मुंबई के चरनी रोड कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया गया।
अल्लाह अपने रसूल के सदके में उनके गुनाओ को माफ करे,उनकी मगफीरत करे, और उन्हें जन्नतुल फिरदोष आला मकाम आता करे और उनके खानदान वालोको सब्रेजमिल अता फरमावे। आमीन
इन्ना लिल्लाही व इन्ना अलैहि राजेउन