दिल्ली में छठ पर्व को लेकर सियासत तेज हो गई है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों पार्टियों के नेता एकदूसरे पर लगातार जुबानी हमले कर रही है. बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा आईटीओ घाट पर पहुंचकर वहां साफ-सफाई करके पूजा शुरू करने का एलान कर चुके हैं. दरअसल, दिल्ली में यमुना किनारे छठ मनाने की इजाजत नहीं है. इसी फैसले के विरोध में बीजेपी नेता आईटीओ जा रहे हैं. वहीं द्वारका में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका आरोप है कि बीजेपी की एमसीडी वहां घाट नहीं बनाने दे रही है.
बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल सरकार को चुनौती देते हुए कहा, ‘आज सुबह 11 बजे आईटीओ के छठ घाट पर जाउंगा. मैं अरविंद केजरीवाल को चुनौती देता हूं कि अगर उनमें दम है तो हमें रोककर दिखाइए.’ वहीं आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती ने कहा, ‘घाट यहीं बनेगा और हम घाट बनाकर रहेंगे.’
छठ पर क्यों हो रही है राजनीति
दरअसल, छठ को लेकर दिल्ली के दो बड़े दलों का ये हट इसलिए है क्योंकि सवाल 29 फीसदी पूर्वांचल वोटों का है. यूपी बिहार के वो प्रवासी जो सीधे-सीधे 27 सीटों पर जीत हार का फैसला करते हैं. जिनके लिए छठ पूजा आस्था का सबसे बड़ा पर्व है.
दिल्ली में छठ पर राजनीति की शुरुआत 2010 में हुई थी, जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं और तब दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने छठ पर सार्वजनिक अवकाश की मांग उठाई थी. पिछले हफ्ते दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने कहा था कि छठ पूजा समारोह यमुना के किनारे को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी में केवल निर्दिष्ट स्थलों पर ही अनुमति दी जाएगी, क्योंकि प्रार्थना प्रसाद के विसर्जन के बाद जल प्रदूषण होता है. इसके बाद बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने और राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले पूर्वाचली समुदाय के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया था. आप विधायक संजीव झा ने भी उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर इस ‘गंभीर’ मुद्दे पर विमर्श के लिए मिलने का समय मांगा था.