“NH 48 Awareness Group”
के संस्थापक ,और पालघर नागरिक न्यूज के संपादक , श्री जावेद लुलानिया जी ने मुंबई जाते समय दिखाई है।
आंखों देखा हाल । जूचंद्र से फाउंटेन होटल ।
क्या जरूरत है किसी संपादक , समाज सेवी को , जान जोखिम में डालकर विडियो बनाने कि ?
यह सवाल जनता पुंछ रही है ।
हर साल बारिश के पहले , मीटिंग लेकर ( पत्रकारों को बाहर रखकर ) कडे शब्दों में कथित प्राधिकरण अधिकारियों को ,सख्त निर्देश ।
ईस बार महामार्ग अवरुध्द हुआ ,गड्ढों कि वजह या बरसाती पानी का जमावड़ा कहीं दिखाई दिया तो अधिकारी यों कि खैर नहीं ।
पढ़ने में खबर दमदार लगती है , लेकिन मां. जिलाधिकारी साहब को प्रधिकरण अधिकारी हर बार मुर्ख बनाने में कामयाब रहे हैं।
अब अनधिकृत होटल और इमारतें तोडक कार्रवाई के उपरांत भी समस्या जस कि तस हैं ,पांच किलोमीटर को डेढ़ घंटा समय लगना तय है।
क्या गड्ढे भरने कि रॉकेट साइंस जापान से टेक्नोलोजी लानी चाहिए ..?
कोर्ट ने साफ कहा है कि गड्ढों के लिए, उस इलाके के जिला अधिकारी जनाब जिम्मेदार होंगे।
लगता है इसीलिए कंई जगह पुलिस कर्मी गड्ढे भरते नजर आते है ,(जो बेहद शर्मनाक है ।) इसलिए क्योंकि ..
जी. अ. कि इज्जत बची रहे।
क्यों गड्ढों कि वजह से दुर्घटना होने पर ,सडक ठेकेदार कं . को दोषी करार देते हुए गुन्हा दाखिल नहीं होता …?
कैमरे में सिर्फ, सिट बेल्ट, मोबाइल, हेल्मेट ई , रुल तोड़ने वाली जनता ही नजर आती है ???