पुल पर पड़े गड्ढों से जब भी भारी-भरकम वाहन गुजरते हैं , तब हर पहिया,”कई टन वजनी हैमर” का काम करता है। लाखों वाहन दिन-रात ईस गड्ढे में पटकने से , लगातार हैमरींग होते रहती है, परिणाम स्वरूप कितना भी मजबूत ढ़ांचा हो ,वह ईस लगातार हो रहे घणाघात से चकनाचूर होना तय है। बड़े बड़े चट्टान , हथ्थौंडो कि लगातार चोट पड़ने पर टुकड़ों में बंटजाता है।
पुल पर छोटे से छोटे गड्ढों को तुरंत भरना यह रामबाण उपाय है ,ऐसा इंजीनियर कहते हैं।
महामार्ग पर ऐसे पुल निर्माण के समय भी यह मसला सामने आया था, निर्माणाधीन पुलों पर साईट इंजीनियर नदारद थे , ऐसी रिपोर्ट अंग्रेजी दैनिक DNA न्यूज ने चारोटी उड्डआनपूल का मुआयना करने के बाद रिपोर्टिंग कि थीऔर ऐसे सभी निर्माणाधीन पूलों के काम का दर्जा , निकृष्ट होने कि बात कही है।फिरभी प्राधिकरण अधिकारियों कि सुस्त चाल , तांत्रिक दोष,भ्रष्टाचार और बेपरवाही का खामियाजा, कई किलोमिटर का ट्राफिक जाम, रोजगार कर्मचारियों कि आमद पर भी असरकारी है।
आज भी यह व्यस्त और दुर्घटना ओं में नंबर वन हायवे ,सेफ्टी अफसर और इंजीनियर विहीन है।
ठेकेदार कं. ने कोई ईजीनीअर और सेफ्टी अफसर कि परमानेंट नियुक्ति नहीं कि है।
ईस पुरे माहोल का फ़ायदा , मुआयना करके रिपोर्टिंग करने हेतु नियुक्त कि गई इंजीनियर कं. बखुबी मलाई चाट रही हैं।
“दुर्घटना का सिधा मतलब” “निरीक्षण कंपनी द्वारा किया हुआ टेक्निकल अत्याचार”।
यही असली यमदूत है।
पहले पुरानी CEG में जो इंजीनियर थे ,वही अब नई कं. L. N. Malaviya में काम पर हैं।
अपने दोष को यह हरामी खुद उजागर नहीं करेंगे ।
ईनको चुनकर पिछवाड़े में ईनाम देना आवश्यक है ।
चींचपाडा अंडर पास तो एक उदाहरण है , ऐसे कई कारनामे पुरानी ठेकेदार क. के जानता भुगत रही है।
धन्यवाद
..………जय महाराष्ट्र….????????????
https://www.dnaindia.com/mumbai/report-charoti-flyover-found-to-have-unsound-concrete-2220668
चिंचपाडा ब्रिज पासून ते सोमठा हॉस्पिटल पर्यंत ट्राफिक जाम आहे