महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे के बयान ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है. फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ किए पॉडकास्ट में राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को लेकर बड़ा बयान दिया.
उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के साथ मेरे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अगर महाराष्ट्र हित के लिए हमें एक होना होगा तो मैं उसके लिए तैयार हूं.
• राज ठाकरे ने कहा,
”महाराष्ट्र हित के सामने हमारे झगड़े, हमारी बातें छोटी होती हैं. महाराष्ट्र बहुत बड़ा है. ये झगड़े और विवाद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए बहुत महंगे है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि एक साथ आने और एक साथ रहने में कोई कठिनाई है. लेकिन विषय केवल इच्छा का है. यह केवल मेरी इच्छा का मामला नहीं है. यह मेरे स्वार्थ का मामला भी नहीं है. मुझे लगता है कि बड़े चित्र को देखना महत्वपूर्ण है. मेरा मतलब यह है कि महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को एक साथ आकर एक पार्टी बनानी चाहिए.”
• 2006 में बनाई थी अलग पार्टी
राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर 9 मार्च 2006 को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था. उनकी नाराजगी की वजह उद्धव ठाकरे ही माने जाते हैं. दरअसल, ऐसा माना गया कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे अपने बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी मे अधिक तव्वजो देने लगे थे. इसी वजह से राज ठाकरे नाराज हुए और नई पार्टी का गठन किया.
एमएनस का सियासी सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन में प्रचार किया. हालांकि राज ठाकरे ने विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया. 135 सीटों पर उन्होंने उम्मीदवार उतारे लेकिन एक भी सीट पार्टी नहीं जीत सकी.
मराठी भाषा को लेकर आक्रामक हैं राज ठाकरे
इन दिनों राज ठाकरे मराठी भाषा को लेकर आक्रामक हैं. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता गैर मराठी भाषियों से जबरन मराठी बुलवाते देखे गए हैं. हाल ही में जब महाराष्ट्र सरकार ने पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के लिए फैसला लिया तो राज ठाकरे ने कड़ी आपत्ति जताई.
राज ठाकरे ने हाल ही में महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और शिवसेना के अध्यक्ष एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. इस मुलाकात को लेकर 16 अप्रैल को एकनाथ शिंदे ने कहा था कि क्या हम मिल नहीं सकते? बाल ठाकरे के जमाने से हम साथ में काम करते थे, बीच में किसी कारण से नहीं मिले. हर मुलाकात का राजनीतिक अर्थ निकालना उचित नहीं है.
राज ठाकरे के अगल कदम को लेकर भी अटकलें हैं. बड़ा सवाल है कि बीएमसी चुनाव में वो अकेले मैदान में उतरेंगे या फिर गठबंधन करेंगे.