कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आज मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत का आयोजन हो रहा है. सुबह से ही किसानों की भीड़ जुटने लगी है. किसान संगठन का दावा है कि ये पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी किसान महापंचायत के दौरान कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए मुजफ्फरनगर में सुरक्षा कड़ी कर दी है.
एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘मुजफ्फरनगर महापंचायत पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होने वाली है. किसानों के वास्ते भोजन की व्यवस्था के लिए 500 लंगर सेवाएं शुरू की गई हैं, जिसमें सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर चलने वाली मोबाइल लंगर भी शामिल है. महापंचायत में भाग लेने वाले किसानों के लिए 100 चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं.’
किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. एक महिला किसान ने कहा, ‘हम तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर यहां एकत्र हुए हैं. हम प्रधानमंत्री से तीन कानूनों को वापस लेने का अनुरोध करते हैं.’ हरियाणा के एक किसान ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री को किसानों के लिए कोई सम्मान नहीं है. मोदी जी किस तरह के राजा हैं जो वह सर्दियों में भी किसानों को बैठने को मजबूर कर रहे हैं?”
पंजाब के कुल 32 किसान संघों ने राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए 8 सितंबर की समय सीमा दी है. एसकेएम ने कहा कि अगर मामले वापस नहीं लिए गए तो किसान 8 सितंबर को बड़े विरोध प्रदर्शन की रूप रेखा तैयार करेंगे.
क्या है किसानों का मुद्दा
तीन विवादास्पद कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है. किसानों को डर है कि ये कानून एमएसपी सिस्टम को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा. सरकार के साथ 10 से अधिक दौर की बातचीत विफल रही है. सरकार कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है.
इस बीच, मुजफ्फरनगर जिले के अधिकारियों ने महापंचायत के मद्देनजर सभी शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है. जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि शनिवार शाम छह बजे से पांच सितंबर को महापंचायत खत्म होने तक शराब की सभी दुकानें बंद रहेंगी. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाया गया है.