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तालिबान ने ड्रग्स का मायाजाल फैलाना किया शुरू, तालिबानी शासन आने के बाद भारत में आया 100 करोड़ रुपये का मादक पदार्थ….

तालिबान शासन ने अपने ड्रग का मायाजाल फैलाना शुरू कर दिया है. अकेले भारत में तालिबान शासन आने के बाद 100 करोड़ रुपये का मादक पदार्थ आया है और इसमें से मात्र 20 करोड़ रुपये का माल पकड़ा जा सका है. गुजरात में पकड़े गए ड्रग का नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है और दिल्ली एनसीआर में पिछले 2 महीनों के दौरान दो फैक्ट्रियां पकड़ी गई. तालिबान अपना शासन चलाने के लिए कर रहा है तस्करी? गुजरात पोर्ट पर पकड़ा गया हजारों करोड़ रुपये का मादक पदार्थ, ऐसा मादक पदार्थ जो कागजों में तो बताया गया था टेलकम पाउडर लेकिन वास्तव में था नशे का जहर, जो भारत के विभिन्न भागों मे भेजा जाना था. जांच एजेंसियों ने जब मामले की जांच आगे बढ़ाई तो उसके तार सीधे दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक पहुंच गए. सूचना के आधार पर राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के नोएडा दो जगहों पर छापेमारी की और दिल्ली से दो अफगानियों समेत तीन लोगों को और नोएडा से 2 अफगानियों को हिरासत में ले लिया.

 


जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के नोएडा में मादक पदार्थ बनाने की पूरी फैक्ट्री पकड़ी गई है और डीआरआई को वहां से मादक पदार्थ बनाने के उपकरणों का पूरा जखीरा भी बरामद हुआ है. बड़ा खुलासा यह भी है कि नशे का जो माल गुजरात पोर्ट पर पकड़ा गया, नोएडा में बरामद रॉ मटेरियल भी ठीक उसी तरह का है यानी दोनों के तार आपस में कहीं ना कहीं मिले हुए हैं. जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अब तक कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जिनमें 4 अफगानी है. इनमें से दो अफगानी दिल्ली से दो नोएडा से गिरफ्तार किए गए हैं जबकि अहमदाबाद से बरामद हुए माल के संबंध में चेन्नई से एक पति-पत्नी समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अब तक की पूछताछ और जांच के दौरान पता चला है कि यह पति-पत्नी केवल मुखौटा थे. इनके नाम पर यह धंधा कोई और चला रहा था और इन दोनों को कमीशन के तौर पर लाखों रुपये दिए जा रहे थे.

ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़

 

जांच एजेंसियों के मुताबिक जुलाई महीने में भी पंजाब पुलिस ने दिल्ली के सैनिक फार्म इलाके मे एक ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था और उस मामले में भी चार अफगानों समेत अनेक लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पिछले 2 महीनों के दौरान बड़े पैमाने पर भारत मादक में पदार्थ पकड़े गए हैं. इनमें 6 जुलाई को पंजाब पुलिस ने दिल्ली और पंजाब से लगभग 20 किलो हेरोइन, 7 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने 12 किलो हेरोइन, गुजरात पोर्ट से लगभग 3000 किलो हेरोइन/ मादक पदार्थ, 20 सितंबर को दिल्ली नोएडा से 20 किलो हेरोइन, गुजरात पोर्ट पर ही 25 हजार किलो टेलकम पाउडर आने की रिपोर्ट पर पकड़ नहीं जा सका.

 

 

 

 

सूत्रों के मुताबिक गुजरात में जो ड्रग्स पकडा गया है वो तीन परतों में छिपा कर रखा गया था. जिससे ड्रग्स के रेशे पूरे सामान में आ गए. ऐसे मे उसके वास्तविक मूल्य का आंकलन कराया जा रहा है. साथ ही इस मामले की जांच मे एनआईए, प्रवर्तन निदेशालय समेत तमाम जांच एजेंसियों को लगा दिया गया है. जिससे पूरे देशव्यापी रैकेट का पर्दाफाश किया जा सके. जांच से जुडे सूत्रों के मुताबिक अब तक जितने भी बड़े मामले पकड़े गए हैं, उन सभी के तार अफगानिस्तान से जुड रहे हैं और सभी मामलो में अफगानी पकड़े भी गए हैं. इन अफगानियों के तार अफगान में बैठे ड्रग माफियाओं से जुडे हुए हैं और अब इस बात की जांच की जा रही है कि तालिबान इसमें कहां तक शामिल है.

 

हालाकि सूत्रों का दावा है कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद ड्रग तस्करी में तेजी आई है और उसके इस काम में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी पूरी मदद कर रही है क्योंकि उसकी मदद के बिना अफगानिस्तान से ईरान पोर्ट पर माल भेजना संभव नहीं है. इसके पीछे पाक की नापाक सोच यह है कि तालिबान उसके सहयोग का अहसान मानेगा और जब ड्रग्स जाएगा तो मुनाफा उसे भी मिलेगा. वहीं इससे भारत की युवा पीढ़ी बर्बाद होगी. पाक एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश कर रहा है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक अब तक जो आंकलन किया गया है उसके मुताबिक अफगानिस्तान में शासन चलाने का सालाना खर्च लगभग सात लाख बिलियन डॉलर है

 

तालिबान सरकार वैध रास्तों से केवल दो बिलियन डॉलर ही कमा सकती है. ऐसे मे उसकी सोच है कि जो माल उसके यहां आसानी से उपलब्ध है, उसे बेचकर ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा किया जाए, जिससे अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन बरकरार रहे. वहीं एबीपी न्यूज़ ने अगस्त महीने मे ही बता दिया था कि तालिबान ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से भारत में ड्रग्स भेजने के लिए कई रूट बना लिए है. इनमे ईरान-गुजरात-मुबंई समुद्री रूट भी शामिल था और सबसे बड़ी ड्रग खेप इसी रूट से पकडी गई है.

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