हिजाब का मसला तो हमे एक
नयी उम्मीद नयी सिक देने आया है !
जो भी हो मगर, इस मसले ने हमे
वाकई हकिकत से रुबरु कराया है !!
परदा,,,
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अभी दुनिया वालों का मास्क लगाना नही छूटा है,,तरह तरह के माश्क लगा कर 12 से 18 घंटे तक मुह ढक कर रखना पड़ रहा है क्यूं???क्यूंकि एक न दिखने वाले खतरनाक वायरस का डर है कि कहीं वो नाक मुह के रास्ते आपके जिश्म मे प्रवेश न कर जाये जिससे आप की जिन्दगी बचना मुशकिल हो जाये।ये माश्क भी एक किस्म का हिजाब ही है।
किसी स्कूल के ड्रेसकोड मे कहीं इस मास्क का जिक्र है क्या?कोई जिक्र नही है फिर भी मास्क के खिलाफ किसी स्कूल प्रशासन ने अपना फरमान क्यूं न जारी किया?
सरदार के बच्चे किसी भी स्कूल मे पढ़ते हैं वो ड्रेस पहनेंगे मगर अपनी पगड़ी नही उतारते हैं,कोई माई का लाल है जो पगड़ी पर फरमान जारी करे?
फरमान केवल लड़कियों के हिजाब पर जारी होता है????
सुन लो नफरत के गर्भ से निकलने वालों,,,बिना परदा की कोई भी कीमती चीज परमेश्वर ने भी नही बनाया,,फिर मासूम लड़कियों और औरतों को कैसे बेपरदा करना चाहते हो??
चले जाओ समंदर मे मोती ढूंढने आपको उस कीमती मोती के ऊपर शीप का परदा मिलेगा,सोने के जेवर खरीदोगे तो सुनार आपको एक खास गुलाबी रंग के कागज मे ही लपेट कर देगा।
आप बिस्किट,चाकलेट या कोई भी खाने का सामान पैकेट के अंदर ही पाओगे,आप खुला सामान खुद ही नही खरीदना चाहोगे।
आप खेतों मे जाओ खुदा ने जो भी अनाज पैदा किये हैं सब छिलके के परदे मे होते हैं।
मोतियों जैसे खूबसूरत अनार के ऊपर एक कड़ुआ और बदसूरत छिलके का परदा होता है।
सब तो ठीक है आपके घर पर पकने वाला खाना भी ढकने के परदे मे होता है,,अगर ये परदा न हो तो चींटी,मख्खियां,कीड़े,पतिंगे इन तमाम चीजों को बहुत नुकशान पहुचायेंगी।आप यकीन न करो तो कल दो चाकलेट खरीदो और एक का रैपर खोल दो,और दोनो एक जगह रख दो,,थोड़ी देर के बाद देखो दोनो मे से कौन सुरक्षित है,फिर समझ जाओगे परदे का मतलब।
जब इन चीजों को परदे की इतनी जरूरत है तो जिसको हमारे देश मे देवी माना जाता है,,जिसको जगत जननी कहा जाता है,,जो अनमोल है जो बहन है बेटी है मा है उस नारी को बे परदा करने की जिद क्यूं है??क्यूं हमारी दुशमनी मे आप सदियों की संस्कृति के दुशमन बन रहे हो?क्यूं पक्षिम के गुलाम बनते जा रहे हो??
नंगे पन और बे परदगी मे तुमको तरक्की दिखती है तो अपने घर की औरतों को आप नंगी रखो,लोगों को नुमाईश कराओ,,दूसरों पर अपनी नीच मांसिक्ता थोपना चाहोगे तो उसका अंजाम बुरा ही होगा।
पर्दा परमेश्वर का आदेश है और हमारी संस्कृति का हिस्सा है , और कर्नाटक की यह बेटियाँ सही मायने में धर्म रक्षक है , जो लोग कहते है कि पर्दा सनातन धर्म में नहीं है यही लोग है जो धर्म को हानि पहुँचाने वाले अधर्मी है वरना रिगवेद में स्पष्ट पर्दे का आदेश है