यह सवाल उपस्थित करना ईस लिए लाजमी है क्यों कि ,ऐसी यह कोई पहली दुर्घटना नहीं है। ईसके पहले भी कई जाने ईस भ्रष्ट और लचर व्यवस्था कि वजह से गई हैं।
यहां पर साफ तौर पर बार बार साबित होता रहा है के जान जोखिम में डालकर, चंद पैसों के लालच में आकर ,और प्रशासनिक व्यवस्था के दबाव के कारण बिना सोचे समझे , बिना सेफ्टी के ,रात के समय “हायवे के प्रवाह को बिना रोके” या उचित पर्याय किये बगैर , सडक पर से बंद या दुर्घटना ग्रस्त वाहनों को हटाना।
माना के ऐसे वाहन दुसरी दुर्घटना का कारण बन जाते है , अतः तुरंत हटाना अती आवश्यक है , परंतु , पिछले ऐतिहासिक दुर्घटना ओं कि अनदेखी कर , रिस्क लेकर , बिना सेफ्टी बैरीकेड, हेल्मेट, रेडियम जैकेट, कोन और रात में रिफ्लेक्टर लगाए गए उपकरण तथा उचित लाईट और प्रकाश का न होना बडा कारण है।
टोल वसूली कंपनी तथा मैटन्नेन्स कंपनी का जिम्मेदार व्यक्ति , सेफ्टी अफसर कि मौजूदगी में ऐसे मामलों में प्रत्यक्ष हाजीर रहना जरूरी है।
अब तक कामगारों को कोई भी वर्दी , ड्रेसकोड नहीं दिया गया। क्या ईस तरह के काम करने वालों को प्रशिक्षण दिया गया है ?
ईनका ईन्स्युरंस है ? काम कि समय सिमा पर कोई कंट्रोल नहीं।
कभी औचक निरीक्षण भी नहीं ।
CEG के अधिकारी रिश्वत लेकर मृत स्टॉक कि दवाईयां भी इस्तेमाल कि मंजुरी देते हैं।और सब व्यवस्था नियमानुसार और फिट है ऐसा हर महीने लिखीत रिपोर्ट NHAI तक भेजते हैं।
भयानक तस्वीर तब सामने आती है जब ऐसा कुछ अघटीत होता है,
दुर्घटना होने पर गनिमत है के कोई नहीं मरा।
लेकिन ।
पता चला के रेस्क्यू करने गऐ और तिन चार लोग मर गए।
पिछले महीने कि बारह तारीख से चौदह जून तक मां. पालघर जिला अधीक्षक ने हाय एलर्ट कि वजह से मनाई आदेश लागू किया था , जिसका उल्लंघन करने के कारण GR co. के अधिकारियों पर मनोर पुलिस प्रशासन ने इंजीनियर तथा मैनेजर पर गुना दाखील किया। गौर करें यहां किसी कि जान नहीं गई थी।
लेकिन बे वजह मारे गए, गफ्फार खान को बिना सेफ्टी दिए, बगैर कोई सुरक्षा उपकरणो के काम करने का आदेश देने वाले अधिकारी ओं पर यही प्रशासन क्या कार्रवाई करता है यह देखनेवाली बात है।
और हाल ही में , IRB co. कि एम्बुलेंस का चालक रात के समय महामार्ग छोडकर नानिवली गांव में शादी में शामिल होकर लोट रहा था, रास्ते में शेलार फैमिली को बाईक पर घर आते समय एम्बुलेंस ने टक्कर मारकर ड्राईवर भाग निकला।
शेलर कि मौत हो गई और दस वर्षिय बच्ची गंभीर रूप से अस्पताल में इलाज करा रहीं है।
जिस दुर्घटना ग्रस्त कि मदत में स्थानीय संघटनाओं ने टोल बंद का कॉल देने पर IRB co. ने दोनो के ईलाज का और बच्ची के भविष्य का खर्चा ऊठाने का जिम्मेदारी लेते हुए नुकसान भरपाई अदा की ।
अब यहां तो , गफ्फार भाई आऑन ड्यूटी अपना फर्ज निभाते हुए जान से हाथ धो बैठे हैं।
ईनके परिवार को सहायत, सुरक्षा कौन देगा…?
हम केवल श्रध्दांजली दे कर ख़ामोश तमाशबीन बनने को मजबूर हैं , अगली दुर्घटना कि प्रतिक्षा में।