भ्रष्टाचार है दुर्घटना ओन कि जननी।
मुंबई अहमदाबाद महामार्ग , दुर्घटनाओं कि वजह से हमेशा सुर्खियों में है। आए दिन छोटी बड़ी दुर्घटनाए आम बात है।
ईसी तरह ढाबों कि आड़ में ” दो नंबर का धंदा” फलफूल रहा है । स्थानीय पुलिस प्रशासन अनभिज्ञ है यह कहना ग़लत होगा।
फास्ट फूड डीलीवरी बॉय पार्सल देने जाते समय ,बिच रास्ते में , पिझा खाएं तो ,नेशनल टेलिवीजन के चाटूकार पत्रकार ,तिन दिन लगातार ईस खबर का स्वाद लेते हैं, लेकिन हायवे पर सरेआम……., तेजाब , केमिकल ,रंग ,डांबर , खाने का कच्चातेल,क्रूड आयल, डिझल,पेट्रोल, कपडा, सरिया, दालें और जो भी औने पौने दाम पर बेचना चाहो… बिकेगा … खरीददार तैयार हैं, ईस तरह ईमान बेचकर जो हराम कि दौलत डा्राईवर साहब के जेब में रोकडा आई है वह अपनी जात दिखाने लगती है। हिस्सा चुनींदा पत्रकारों का भी है।
और ……
यही पर होता है दुर्घटनाओका गर्भाधान,
चालक महोदय कि जेब में हराम कि कमाई उछल- कूद करने लगती है , जो वाहन चालक अकेले हैं – जीनके साथ क्लिनर नहीं -(अमुमन 80 % वाहनों में क्लिनर नहीं हैं ) वह खुलकर नशा करने को उत्सुक होते हैं , उनकि ईस ला-ईलाज बिमारी कि दवाई भी उसी ढाबे पर या आसपास उपलब्ध है।
पान , गुटखा छोडीए जनाब…. गांजा,चरस,अफीम,काला ,चिट्टा, दारु के साथ ही , जिस्मफरोशी भी रात में उपलब्ध है।
पहले हि खाने-पिने के साथ माल चोरी करने में जो अतिरिक्त समय गंवाया है उसकि पूर्ति करने हेतु ड्राइवर साहब , नशा करने के बाद – पायलट बन जाता है , सेठ GPS में देखकर फोन किए जा रहा है — ( कहां मरा ये .? .. क्या करता है ढाबे पर ,…? दो घंटे से खाना हि खा रहा है….??)
फिर —खतरनाक तेल ,गैस या ट्रेलर …. यमदूत बनकर ,रफ्तार पर सवार हो कर ,अपना शीकार ढूंढ हि लेता है।
पत्रकार , मीडिया का जमावड़ा — ब्रेकिंग न्यूज -….. नशे कि हालत में रसोई गैस का टैंकर तेज रफ्तार से अनीयंत्रीत होकर , डीवाईडर कूद कर, सामने से आ रही ,प्रवासी बस में जा टकराया , छे कि मौत , बिस घायल , ट्रक का चालक वाहन में आग लगने से जलकर दर्दनाक मौत । मौके पर अग्निशमन तथा एक्स्पर्ट रवाना।
सभी मिडिया गला फाड फाड़ कर चिल्लाते हैं , डा्राईवर नशे में गाड़ी चला रहा था । यंत्रणाएं कोई तकनीकी खराबी ढुंडने में व्यस्त।
कोई भी एजेंसी …यह नशा कहां से किया और नशे की हालत में कोई चौंकी पर उसे क्यों नहीं रोका गया ??? उसकी खोज नहीं करती…..
महामार्ग पर महाराष्ट्र में हायवे के दोनों ओर , जहां मर्जी वहां से होली सेल के भाव आप जीतनी मर्जी ऊतनी बोतल या “पेटी” शराब खरीद सकते हो, गुजरात के बॉर्डर से पहले , अनधिकृत ताड़ी फिक्र बिना खौफ और बेफिक्र आप खुलेआम नशा करके गाडी चला सकते हैं, और सभी प्रकार के नशे वहां सस्ते दाम पर उपलब्ध हैं । सभी प्रशासनिक अधिकारी , पेट्रोलिंग वाहन , रात दिन यहां से गुजरते हैं , लेकिन आंखों पर गांधीजी के हरे नोट वाली पट्टी जो बांध रख्खी है !!!!
नशा करने वाले कहते हैं…. खुलेआम मिलता है , क्या करें ??
बेचने वाले कहते हैं , हम कहां जबरदस्ती पिलाते हैं….????
दुर्घटनाओं कि अंतहीन कहानी का यह एक पन्ना मात्र है।
जीसने कई पारिवार अनाथ कर दिए , !!!!
मराठी कहावत है —-
—- नशा करी जीवनाची दुर्दशा —
— दोन नंबर धंदा करी, महामार्गची अवदशा —-
” हफ्ता वसुने वालों ,ईस रोटी पर जो घी लगा है , उसमें मरने वालों का खून भी है”…!!!!!